BCS_India_hi_iev_heb_book/heb/12.json

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16 KiB
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"1": "हम ऐसे कई लोगों के विषय में जानते हैं जिन्होंने यह सिद्ध किया कि वे परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं! आइए, हम वह सब कुछ उतार दें जो हम पर बोझ डालते हमें नीचे खींचता है और इसलिए हम उस पाप को दूर कर दें जो हमसे लिपटा हुआ है। इसलिए आओ, हम अपनी दौड़ को धीरज रख कर दौड़ें और वह सब कुछ करें जो परमेश्वर हमें करने के लिए देते हैं, जब तक कि हम इस अंतिम रेखा तक न पहुँच जाएँ। ",
"2": "और आओ, हम यीशु के विषय में सोचें और उन पर अपना पूरा ध्यान दें। वही हैं जो हमें मार्ग दिखाते हैं और हमारा विश्वास पूरा करते हैं। वही हैं जिन्होंने क्रूस पर भयानक दुख का सामना किया और उन्होंने उन लोगों पर ध्यान नहीं दिया जिन्होंने उन्हें लज्जित करने का प्रयास किया था। उन्होंने ऐसा किया क्योंकि वह जानते थे कि परमेश्वर उन्हें बाद में कैसी प्रसन्नता देंगे। वह अब सिंहासन के पास सर्वोच्च सम्मान के स्थान में बैठते हैं जहाँ परमेश्वर स्वर्ग में शासन करते हैं।\n\\p ",
"3": "जब धर्मी लोग उनके विरुद्ध घृणित कार्य करते थे, तो यीशु ने धीरज के साथ उसका सामना किया। अपने हृदय और मन को यीशु के उदाहरण के द्वारा दृढ़ करो जिससे कि तुम परमेश्वर पर भरोसा करना बन्द न करो या निरुत्साहित न हों। ",
"4": "जब तुम पाप की के प्रलोभन के विरुद्ध यत्न कर रहे थे, तब तुम्हारा लहू नहीं बहा, न ही तुम मरे जैसे यीशु मरे थे। ",
"5": "उन शब्दों को मत भूलो जो सुलैमान ने अपने पुत्र से कहे थे; ये वही शब्द हैं जिससे परमेश्वर तुमको अपनी सन्तान के समान प्रोत्साहित करते हैं: “हे मेरे पुत्र, ध्यान दे, जब परमेश्वर तुझे अनुशासित करते हैं, और निराश न हो जब परमेश्वर तेरी ताड़ना करते हैं, ",
"6": "क्योंकि हर कोई जो प्रभु से प्रेम करता है, प्रभु उसे अनुशासित करते हैं, और जिसे अपना कहते हैं उसका कठोरता से सुधार करते हैं।”\n\\p ",
"7": "परमेश्वर तुम्हें कठिनाईयों को सहन करने की आवश्यकताओं द्वारा अनुशासित कर सकते हैं। जब परमेश्वर तुमको अनुशासित करते हैं, तो वह तुम्हारे साथ वैसा व्यवहार करते हैं जैसा कि एक पिता अपनी सन्तान के साथ करता है! सब पिता अपनी सन्तान को अनुशासित करते हैं। ",
"8": "यदि तुमने परमेश्वर के अनुशासित का अनुभव नहीं किया है जैसे वह अपनी सब सन्तान को अनुशासित करते हैं, तो तुम परमेश्वर की सच्ची संतान नहीं हो। तुम अवैध सन्तान के समान हो जिनके पास कोई पिता नहीं है कि उन्हें सुधारे। ",
"9": "इसके अतिरिक्त, हमारे प्राकृतिक पिता ने हमें अनुशासित किया, और हमने ऐसा करने के लिए उन्हें सम्मान दिया। इसलिए हमें निश्चय ही परमेश्वर को जो हमारे आध्यात्मिक पिता हैं जो हमें अनुशासित करते हैं उस रूप में स्वीकार करना चाहिए जिससे कि हम सदा के लिए जी सकें! ",
"10": "हमारे प्राकृतिक पिता ने हमें थोड़े समय के लिए अनुशासित किया जैसा वह सही समझते हैं, परन्तु परमेश्वर सदा हमें सदा अनुशासित करते हैं जिससे कि वह हमें उनके पवित्र स्वभाव के भागीदार होने में सहायता मिले। ",
"11": "जब परमेश्वर हमें अनुशासित करते हैं, तब हमें सुख नहीं मिलता है, इसके विपरीत हमें कष्ट होता है परन्तु बाद में, जिन्होंने उससे शिक्षा ग्रहण की है, धार्मिकता का जीवन जीने का कारण बन जाता है जिससे हमें भीतरी शान्ति प्राप्त होती है।\n\\p ",
"12": "अत: आत्मिक थकान का अभिनय करने की अपेक्षा जैसे कि तुम आध्यात्मिक रूप से थके हुए थे, अपने नए हो जाने के लिए परमेश्वर के अनुशासन पर भरोसा करो। ",
"13": "मसीह के अनुसरण में सीधा आगे बढ़ो जिससे कि मसीह पर भरोसा रखने वाले निर्बल लोग तुमसे शक्ति पाएँ और अपंग न हो जाएँ। इसकी अपेक्षा, वे एक घायल और निकम्में अंग के स्वस्थ हो जाने के समान आत्मिकता में पुनर्जीवित हो जाएँगे। ",
"14": "सभी लोगों के साथ शान्तिपूर्वक रहने का प्रयास करो। पवित्र होने के लिए पूर्ण यत्न करो, क्योंकि कोई भी परमेश्वर को नहीं देख पाएगा यदि वह पवित्र नहीं है। ",
"15": "सावधान रहो कि तुम में से कोई भी परमेश्वर पर भरोसा करना त्याग न दे क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिए ऐसे दयालु कार्य किए हैं जिसके हम योग्य नहीं हैं! सावधान रहो कि तुम में से कोई भी दूसरों के साथ बुरा व्यवहार न करे, क्योंकि यह एक बड़े पेड़ की जड़ के समान बढ़ेगा जो अनेक विश्वासियों को पाप की ओर ले जाएगा। ",
"16": "कोई भी एसाव के समान अनैतिक कार्य न करे या परमेश्वर की अवज्ञा करे। उसने केवल एक भोजन के लिए अपना पहलौठे होने का अधिकार बेच दिया था। ",
"17": "बाद में एसाव अपने जन्म का अधिकार और वह सब जो उसका पिता इसहाक उसे आशीष में देता, वापस लेना चाहता था, परन्तु इसहाक ने एसाव के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसलिए एसाव को अपने जन्म का अधिकार और आशीष वापस पाने का कोई मार्ग नहीं मिला, जबकि उसने रो-रो कर उसे माँगा।\n\\p ",
"18": "परमेश्वर के पास आने पर, तुमने सीनै पर्वत पर इस्राएली लोगों के अनुभव के जैसा कुछ भी चीजों का अनुभव नहीं किया है। वह उस पर्वत पर पहुँचे, जिसे परमेश्वर ने उन्हें छूने के लिए मना किया था, क्योंकि वह स्वयं उस पर्वत पर नीचे आए थे। वह एक धधकती आग के पास पहुँचे, और यह एक उग्र तूफान के साथ, धुंधला और अन्धकारमय था। ",
"19": "उन्होंने तुरही की आवाज सुनी, और उन्होंने परमेश्वर को एक सन्देश देते हुए सुना। यह इतना शक्तिशाली था कि उन्होंने उससे अनुरोध किया कि वह फिर से उनसे ऐसे बात न करें। ",
"20": "क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें आज्ञा दी थी, “यदि कोई व्यक्ति या पशु भी इस पर्वत को छू लेता है, तो तुमको उसे मार देना है।” लोग डर गए थे। ",
"21": "क्योंकि पर्वत पर जो हुआ उसे देखने के बाद मूसा वास्तव में डर गया था, उसने कहा, “मैं काँप रहा हूँ क्योंकि मैं बहुत घबराया हुआ हूँ!” ",
"22": "परन्तु, तुम जीविते परमेश्वर की उपस्थिति में आए हो जो वास्तव में स्वर्ग में, “नए यरूशलेम” में रहते हैं। यह ऐसे है जैसे तुम्हारे पूर्वजों ने किया, जब वे इस्राएल में सिय्योन पर्वत पर परमेश्वर की आराधना करने आए थे, जिस पर सांसारिक यरूशलेम को बनाया था। तुम वहाँ गए हो जहाँ अनगिनत स्वर्गदूत एकत्र हैं, और आनन्दित हैं। ",
"23": "तुम उन सब विश्वासियों की सभा में सहभागी हो गए हो जिनके पास पहलौठे पुत्रों के रूप में विशेष अधिकार हैं, जिनके नाम परमेश्वर ने स्वर्ग में लिखे हैं। तुम परमेश्वर के पास आए हो, जो सबका न्याय करेंगे। तुम ऐसे स्थान पर आए हो जहाँ परमेश्वर के उन लोगों की आत्माएँ हैं, जो लोग मरने से पहले धार्मिकता से रहते थे, और जिन्हें परमेश्वर ने अब स्वर्ग में परिपूर्ण बनाया है। ",
"24": "तुम यीशु के पास आए हो, जिन्होंने क्रूस पर अपने बहाए हुए लहू से हमारे और परमेश्वर के बीच एक नई वाचा बाँधी है। यीशु के लहू ने यह संभव बनाया है कि परमेश्वर हमें क्षमा कर सकें और उनका लहू हाबिल के लहू की तुलना में हमारे लिए कहीं उत्तम है।\n\\p ",
"25": "सावधान रहो कि तुम परमेश्वर की बात सुनने से मना न करो, जो तुमसे बात कर रहे हैं! जब मूसा ने पृथ्‍वी पर उन्हें चेतावनी दी थी, तब इस्राएली लोग परमेश्वर के दण्ड से बच नहीं पाए थे। इसलिए हम निश्चय ही परमेश्वर के दण्ड से बच नहीं पाएँगे यदि हम उनकी चेतावनी सुनने से मना करते हैं जब वह हमें स्वर्ग से चेतावनी देते हैं! ",
"26": "जब उसने सीनै पर्वत पर बात की तो पृथ्‍वी हिल गई। परन्तु अब उन्होंने प्रतिज्ञा की है, “मैं एक बार फिर से, पृथ्‍वी और आकाश को भी हिला दूँगा।” ",
"27": "“एक बार, फिर से” शब्द से पता चलता है कि परमेश्वर पृथ्‍वी पर उन वस्तुओं को हटा देंगे जिन्हें वह हिलाएँगे, अर्थात् सृष्टि को! वह ऐसा करेंगे कि स्वर्ग में जो चीजें नहीं हिल सकतीं वह सदा के लिए रह सकें। ",
"28": "इसलिए आओ, हम परमेश्वर का धन्यवाद करें कि हम ऐसे राज्य के सदस्य बनने जा रहे हैं जिसे कुछ भी हिला नहीं सकता है! आओ, हम आभारी होकर उनका धन्यवाद करें और उनकी महान शक्ति और प्रेम से भयभीत होकर परमेश्वर की आराधना करें। ",
"29": "स्मरण रखो कि हम जिस परमेश्वर की आराधना करते हैं वह आग के समान हैं जो सब अशुद्धता को जला देते हैं।",
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