BCS_India_hi_iev_heb_book/heb/11.json

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"1": "विश्वास वह होता है जब लोग परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं और उन्हें पूरा विश्वास होता है कि वे उन वस्तुओं को प्राप्त करेंगे जिनके लिए वह दृढ़ विश्वास के साथ उनसे आशा करते हैं। विश्वास वह होता है जब लोगों को निश्चय हो जाता हैं कि वे वह होते हुए देखेंगे, जिन्हें, अभी, देखा नहीं जा सकता है। ",
"2": "क्योंकि हमारे पूर्वजों ने परमेश्वर पर भरोसा रखा, उन्होंने उनको अच्छा माना। ",
"3": "क्योंकि हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, हम समझते हैं कि परमेश्वर ने यह आदेश दे कर संसार को अस्तित्व में किया। इसलिए जो वस्तुएँ हम देखते हैं वह पहले से उपस्थित वस्तुओं से नहीं बनाई गई थी।\n\\p ",
"4": "क्योंकि आदम के पुत्र हाबिल ने परमेश्वर पर भरोसा रखा, उसने परमेश्वर के लिए अपने बड़े भाई कैन की तुलना में अधिक उत्तम बलिदान दिया। इसलिए परमेश्वर ने हाबिल के बलिदान को अच्छा कहा, और परमेश्वर ने घोषणा की कि हाबिल धर्मी था। और यद्यपि हाबिल मर चुका है, हम अभी भी परमेश्वर पर भरोसा रखने के विषय में उससे सीखते हैं। ",
"5": "क्योंकि हनोक ने परमेश्वर पर विश्वास किया, परमेश्वर ने उसे स्वर्ग में उठा लिया! हनोक मरा नहीं था, परन्तु कोई उसे खोज नहीं पाया! उसे ले जाने से पहले, परमेश्वर ने बताया कि हनोक ने उन्हें पूर्णतः से प्रसन्न किया। ",
"6": "अब लोगों के लिए परमेश्वर को प्रसन्न करना संभव है यदि वे उन पर विश्वास रखें, क्योंकि जो कोई भी परमेश्वर के पास आना चाहता है, उसे पहले विश्वास करना होगा कि परमेश्वर उपस्थित हैं और वह उन लोगों को प्रतिफल देते हैं जो उन्हें जानने का प्रयास करते हैं।\n\\p ",
"7": "परमेश्वर ने नूह को चेतावनी दी कि वह बाढ़ भेजेंगे, और नूह ने विश्वास किया! उसने अपने परिवार को बचाने के लिए एक जहाज का निर्माण करके परमेश्वर का आदर किया। इस प्रकार से उसने दिखाया कि शेष लोग परमेश्वर के दण्ड के योग्य थे। अतः नूह एक ऐसा व्यक्ति हो गया, जिसे परमेश्वर ने सही ठहराया, क्योंकि नूह ने उन पर भरोसा रखा था। ",
"8": "परमेश्वर ने अब्राहम को उस देश में जाने के लिए कहा जो वह उसके वंश को देंगे। क्योंकि अब्राहम ने उन पर भरोसा रखा, उसने परमेश्वर की आज्ञा मानी और अपना देश छोड़ दिया, जबकि वह नहीं जानता था कि वह कहाँ जा रहा है। ",
"9": "क्योंकि अब्राहम ने परमेश्वर पर भरोसा रखा था, वह इस प्रकार रहता था जैसे वह एक ऐसे देश में परदेशी था जो परमेश्वर ने उसके वंश को देने की प्रतिज्ञा की थी। अब्राहम तम्बू में रहता था, और उसके पुत्र इसहाक और उसके पोते याकूब ने भी ऐसा ही किया। परमेश्वर ने इसहाक और याकूब को वही वस्तुएँ देने की प्रतिज्ञा की जो उसने अब्राहम को देने की प्रतिज्ञा की थी। ",
"10": "अब्राहम स्थिर नींव वाले नगर में रहने की प्रतीक्षा कर रहा था जिसका निर्माण और रचना परमेश्वर स्वयं करते।\n\\p ",
"11": "और भले ही सारा अपने बुढ़ापे के कारण बच्चों को जन्म देने में असमर्थ थी, फिर भी अब्राहम को एक बच्चे का पिता होने की क्षमता मिली, क्योंकि उसने यहोवा को विश्वासयोग्य माना क्योंकि उन्होंने उससे प्रतिज्ञा थी कि उसे पुत्र मिलेगा। ",
"12": "इसलिए, जबकि अब्राहम बच्चे को जन्म देने के लिए बहुत बूढ़ा था, उस एक व्यक्ति से ही वे सब लोग आए हैं जो आकाश के सितारों के समान संख्या में बहुत थे और समुद्र तट के किनारे की रेत के किनकों के रूप में अनगिनत थे। ",
"13": "इन सब लोगों की मृत्यु हो गई जबकि वे अब तक परमेश्वर पर भरोसा रखते थे। यद्यपि उन्होंने अभी तक उन वस्तुओं को प्राप्त नहीं किया था जिनकी प्रतिज्ञा परमेश्वर ने उनसे की थी, यह ऐसा था कि जैसे उन्होंने उन वस्तुओं को दूर से देखा था, और वे आनन्दित हुए थे। ऐसा लगता था जैसे कि उन्होंने यह स्वीकार किया था कि वे इस पृथ्‍वी के नहीं है, परन्तु वे यहाँ सिर्फ कुछ समय के लिए ही हैं। ",
"14": "ऐसे लोगों के लिए जो ऐसी बातें कहते हैं, वे स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वे ऐसे स्थान की इच्छा रखते हैं जो उनका अपना देश बन जाएगा। ",
"15": "यदि वे यह सोच रहे होते कि उनकी अपनी जन्मभूमि वह स्थान था जहाँ से वे आए थे, तो वहाँ वापस लौट जाने का अवसर था। ",
"16": "परन्तु, वे एक अधिक उत्तम स्थान चाहते थे जहाँ वे अपना जीवन बिताएँ। वे स्वर्ग में एक घर चाहते थे इसलिए उनके साथ रहने के लिए परमेश्वर ने उनके लिए एक शहर तैयार किया है, और वह उन पर प्रसन्न है कि वह उनके परमेश्वर हैं।\n\\p ",
"17": "क्योंकि अब्राहम परमेश्वर पर भरोसा रखता था, इसलिए वह अपने पुत्र इसहाक को बलि के रूप में मारने के लिए तैयार था जब परमेश्वर ने उसे परखा था। ",
"18": "यह इस पुत्र के विषय में था जिसके लिए परमेश्वर ने कहा था, “यह केवल इसहाक से है कि मैं तेरे वंश को बढ़ाने पर विचार करूँगा।” ",
"19": "अब्राहम ने मान लिया था कि अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, परमेश्वर फिर से उसे जीवित कर सकते हैं, भले ही वह अब्राहम के बलि देने के बाद मर जाए! परिणाम यह था कि जब अब्राहम ने इसहाक को वापस पाया, तो ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने उसकी मृत्यु के बाद उसे वापस पाया।\n\\p ",
"20": "क्योंकि इसहाक ने परमेश्वर पर भरोसा किया, उसने प्रार्थना की कि परमेश्वर उसके पुत्रों याकूब और एसाव को उसकी मृत्यु के बाद आशीष दें। ",
"21": "क्योंकि याकूब ने परमेश्वर पर भरोसा किया, इसलिए जब वह मर रहा था, उसने प्रार्थना की कि वह अपने ही पुत्र यूसुफ के हर पुत्र को आशीष दे। उसने परमेश्वर की आराधना की जब वह मरने से पहले अपनी चलने वाली छड़ी का सहारा लिए हुए था। ",
"22": "क्योंकि यूसुफ ने परमेश्वर पर भरोसा किया, इसलिए जब वह मिस्र में मरने वाला था, उसने उस समय के विषय में सोचा जब इस्राएली मिस्र छोड़ देंगे, और उसने अपने लोगों को उसकी हड्डियों को साथ ले जाने का निर्देश दिया।\n\\p ",
"23": "क्योंकि मूसा के पिता और माता ने परमेश्वर पर भरोसा किया, उन्होंने अपने पुत्र को जन्म के तुरन्त बाद तीन महीने तक छिपा कर रखा, क्योंकि उन्होंने देखा कि बच्चा बहुत सुन्दर था। वे मिस्र के राजा के आदेश की अवज्ञा करने से नहीं डरते थे, कि सब यहूदी बालकों को मरना होगा। ",
"24": "परन्तु जब मूसा बड़ा हुआ, क्योंकि वह परमेश्वर पर भरोसा करता था, उसने राजसी सुविधाओं को स्वीकार करने से मना कर दिया जो उसकी होती यदि लोग उसे “फ़िरौन की पुत्री का पुत्र” समझते।” ",
"25": "उसने निर्णय लिया कि राजा के महल में क्षणिक पापमय आनन्द लेने से अधिक उत्तम यह होगा परमेश्वर के लोगों के साथ उसके साथ भी बुरा व्यवहार किया जाए। ",
"26": "उसने निर्णय लिया कि यदि वह मसीह के लिए दुख सहेगा, तो परमेश्वर की दृष्टि में उसका मूल्य मिस्र के खजाने का स्वामी होने की तुलना में कहीं अधिक होगा, जिसे वह फ़िरौन के परिवार के सदस्य रूप में प्राप्त करेगा! उसने उस समय की प्रतीक्षा की जब परमेश्वर उसे अनन्त प्रतिफल देंगे। ",
"27": "क्योंकि वह परमेश्वर पर भरोसा करता था, मूसा ने मिस्र छोड़ दिया! वह घबराया हुआ नहीं था कि राजा क्रोध होगा क्योंकि उसने मिस्र छोड़ा। वह चला जा रहा था क्योंकि ऐसा लग रहा था जैसे कि वह परमेश्वर को देख रहा है, जिसे कोई भी नहीं देख सकता। ",
"28": "क्योंकि मूसा ने विश्वास किया कि परमेश्वर अपने लोगों को बचाएँगे, उसने फसह के विषय में परमेश्वर के आदेशों का पालन किया, उसने लोगों को भेड़ के बच्चे को मारने और अपने द्वार के चौखटों पर उस लहू को छिड़कने की आज्ञा दी जिससे कि वह स्वर्गदूत जो मृत्यु देता है, वह मिस्र के हर परिवार के पहले पुत्रों के साथ पहले इस्राएली पुरुषों को न मारे।\n\\p ",
"29": "क्योंकि इस्राएलियों ने परमेश्वर पर भरोसा किया इसलिए वे लाल समुद्र से होकर चले, तो ऐसा लगा कि वे सूखी भूमि पर चल रहे थे! परन्तु, जब मिस्र की सेना ने भी समुद्र पार करने का प्रयास किया, तो वे डूब गए, क्योंकि समुद्र का पानी वापस आया और उन्हें डुबा दिया! ",
"30": "क्योंकि इस्राएल के लोग परमेश्वर पर भरोसा करते थे, यरीहो शहर के चारों ओर की दीवारें ढह गई, जब इस्राएली सात दिन तक दीवारों के चारों ओर चले। ",
"31": "क्योंकि राहाब वेश्या परमेश्वर पर भरोसा करती थी, वह यरीहो के उन लोगों के साथ नष्ट नहीं हुई जो परमेश्वर की अवज्ञा करते थे! यहोशू ने शहर को नाश करने की रीति खोजने के लिए भेदियों को भेजा था, परन्तु परमेश्वर ने राहाब को बचाया क्योंकि उसने उन भेदियों का शान्ति से स्वागत किया था।\n\\p ",
"32": "मुझे नहीं पता कि मुझे और किन लोगों के विषय में कहना चाहिए, जिन्होंने परमेश्वर पर भरोसा किया। गिदोन, बाराक, शिमशोन, यिप्तह, दाऊद, शमूएल और अन्य भविष्यद्वक्ताओं के विषय में बताने में बहुत समय लग जाएगा! ",
"33": "क्योंकि वे परमेश्वर पर भरोसा रखते थे, उनमें से कुछ ने उनके लिए महान कार्य किए। कुछ लोगों ने उन देशों को जीता जिन पर शक्तिशाली लोग शासन करते थे! कुछ लोगों ने इस्राएल पर शासन किया और मनुष्यों और जातियों के साथ न्याय का व्यवहार किया! कुछ लोगों ने परमेश्वर से उसकी प्रतिज्ञाओं की पूर्ति को प्राप्त किया! कुछ ने सिंहों को अपने मुँह बन्द रखने के लिए विवश किया! ",
"34": "कुछ आग में जलने से बच गए, कुछ ऐसे लोगों से बच गए जिन्होंने तलवारों से उन्हें मारने का प्रयास किया। कुछ बीमार होने के बाद भी फिर से ठीक हो गए! कुछ लोग युद्धों में सामर्थी हुए! कुछ ने उन विदेशी सेनाओं को भगाया जो पराए देशों से आई थीं! ",
"35": "परमेश्वर पर भरोसा रखने वाली कुछ स्त्रियों ने अपने सम्बन्धियों को फिर से प्राप्त किया, जब परमेश्वर ने उन्हें मरने के बाद जीवित किया। परन्तु वह लोग जो परमेश्वर पर भरोसा रखते थे, उन्हें तब तक परेशान किया गया जब तक कि उनकी मृत्यु न हो गई, उन पर अत्याचार किया गया, क्योंकि उन्होंने बैरियों की बात नहीं मानी जब वे कहते थे, “यदि तुम मना करते हो कि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो तो हम तुमको छोड़ देंगे।” उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया, क्योंकि वे सदा के लिए परमेश्वर के साथ रहना चाहते थे, जो पृथ्‍वी पर रहने से अधिक उत्तम है। ",
"36": "परमेश्वर पर भरोसा रखने वाले अन्य लोगों का उपहास किया गया। कुछ लोगों की पीठ को चाबुक से मार-मार कर छलनी किया गया। कुछ को जंजीरों से बाँधा गया और बन्दीगृह में डाल दिया गया। ",
"37": "विश्वासियों में से कुछ को मृत्यु की दण्ड सुनाई गई। दूसरों को दो भागों में काट दिया गया, अन्य तलवारों से मारे गए, वे भेड़ और बकरियों की खाल से बने वस्त्र पहन कर देश में आना जाना करते थे। उनके पास बिलकुल पैसा नहीं था! लोगों ने निरन्तर उन पर अत्याचार किया और उन्हें हानि पहुँचाई। ",
"38": "पृथ्‍वी पर रहने वाले लोग, जिन्होंने उन लोगों को कष्ट दिया जो परमेश्वर पर भरोसा रखने वाले थे वे ऐसे दुष्ट थे कि वे परमेश्वर पर भरोसा रखने वालों के साथ नहीं रह पाए। कुछ लोग जो परमेश्वर पर भरोसा करते थे, रेगिस्तान और पर्वतों में घूमते थे। कुछ लोग गुफाओं में रहते थे और कुछ मैदान में बड़े गड्ढों में रहते थे।\n\\p ",
"39": "यद्यपि परमेश्वर ने इन सब लोगों की पुष्टि की क्योंकि वे उन पर भरोसा रखते थे, उन्होंने उन्हें वह नहीं दिया जिसकी उन्होंने प्रतिज्ञा की थी। ",
"40": "परमेश्वर को समय से पहले ही पता था कि वह हमें और उनको क्या देंगे और उनको प्रतिज्ञा की वस्तु तुरन्त देने की अपेक्षा बाद में अधिक उत्तम होगा। परमेश्वर की इच्छा यह है कि जब वह और हम एक साथ हों, तब हमारे पास वह सब होगा जो परमेश्वर हमें देना चाहते हैं!",
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