BCS_India_hi_iev_heb_book/heb/10.json

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"1": "व्यवस्था वह नहीं बताती है जो वस्तुएँ परमेश्वर हमें बाद में देंगे! व्यवस्था किसी अन्य वस्तु की छाया के समान है! यदि लोग प्रतिवर्ष एक ही प्रकार की बलि के द्वारा परमेश्वर की आराधना करते हैं, तो वे कभी भी सिद्ध नहीं हो सकते। ",
"2": "यदि परमेश्वर ने उनके दोष को मिटा दिया होता जो यह बलि ले कर आए थे, तो उन्हें कभी बोध नहीं होता कि वे अभी भी दोषी हैं और वे निश्चय ही उन बलियों को नहीं चढ़ाते। ",
"3": "परन्तु सच तो यह है कि वे प्रतिवर्ष उन बलियों को चढ़ाते हैं जो उन्हें स्मरण दिलाता है कि वे अभी भी अपने पापों के लिए दोषी हैं। ",
"4": "इसलिए हम जानते हैं कि भले ही हम परमेश्वर के लिए बैल या बकरों जैसे पशुओं का चढ़ावा देते हैं, भले ही वह उनके लहू को बहता हुआ देखते हैं, यह हमें दोषी होने से नहीं रोक सकेगा!\n\\p ",
"5": "यही कारण है कि जब मसीह संसार में आ रहे थे, तो उन्होंने अपने पिता से कहा, “यह बलिदान और भेंट नहीं हैं जो आप चाहते थे, परन्तु आपने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया है कि उसे बलि करूँ। ",
"6": "होमबलियों और पापबलियों से आप प्रसन्न नहीं होते। ",
"7": "इस कारण मैंने कहा, ‘हे परमेश्वर, सुनिए! मैं यहाँ वह करने आया हूँ जो आप मुझसे चाहते हैं, जैसा कि उन्होंने शास्त्रों में मेरे विषय में लिखा है।’’\n\\p ",
"8": "पहले मसीह ने कहा, “यह वे भेंटें और बलिदान और पशु नहीं हैं जिसे याजक पूरा जला देते हैं और मनुष्यों के पापों की क्षमा के लिए अन्य चढ़ावे आपने नहीं चाहे। उन्होंने आपको प्रसन्न नहीं किया है।” उन्होंने कहा कि भले ही यह उन नियमों के अनुसार चढ़ाए गए जो कि परमेश्वर ने मूसा को दिए थे! ",
"9": "तब, उन्होंने पापों का प्रायश्चित करने के लिए स्वयं को बलि के रूप में प्रस्तुत किया, उन्होंने कहा, “सुनिए! मैं यहाँ वह करने आया हूँ जो आप मुझसे करवाना चाहते हैं!” इस प्रकार मसीह ने पाप के लिए प्रायश्चित करने की पूर्व की विधि से छुटकारा पाया, कि पाप का प्रायश्चित करने के लिए दूसरी विधि स्थापित कि जा सके। ",
"10": "क्योंकि यीशु मसीह ने वह किया जो परमेश्वर चाहते थे इसलिए परमेश्वर ने हमें अपने लिए अलग किया। यह तब हुआ जब यीशु ने बलि के लिए एक बार में अपना शरीर दिया, एक ऐसी बलि जिसको दोहराने की आवश्यकता नहीं होगी।\n\\p ",
"11": "जैसा कि हर याजक वेदी के सामने प्रतिदिन खड़ा होता है, वह अनुष्ठान करता है और उसी प्रकार की बलि चढ़ाता है जो किसी के पापों के अपराध को कभी नहीं हटा सकती। ",
"12": "परन्तु मसीह ने एक ऐसी बलि दी जो सदा के लिए पर्याप्त होगी, और उन्होंने केवल एक बार इसे करके! उसके बाद, वह सर्वोच्च आदर के स्थान पर परमेश्वर के पास शासन करने के लिए बैठ गए। ",
"13": "अब, वह परमेश्वर की प्रतीक्षा कर रहें हैं कि वह उनके सब बैरियों को पूर्ण रूप से पराजित कर दें। ",
"14": "पाप के लिए बलिदान के रूप में एक बार स्वयं को चढ़ा कर, वह सदा उन लोगों को सिद्ध बना दिया है जिनमें परमेश्वर ने अपनी शुद्धता और पवित्रता का कार्य किया है\n\\p ",
"15": "पवित्र-आत्मा हमारे लिए इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह सच है। पहले वह कहते हैं: ",
"16": "“जब मेरे लोगों के साथ पहली वाचा का समय समाप्त हो गया, मैं उनके साथ एक नई वाचा बाँधूँगा। मैं उनके लिए यह करूँगा: मैं उन्हें अपने नियमों को समझने का कारण उत्पन्न करूँगा और मैं उनसे इनका पालन करवाऊँगा।” ",
"17": "फिर उन्होंने कहा: “मैं उनके पापों के लिए उन्हें क्षमा करूँगा, उन्हें पाप का दोषी नहीं मानूँगा और मैं विचार करूँगा कि वे पाप करने के लिए दोषी नहीं हैं।”\n\\p ",
"18": "जब परमेश्वर किसी के पापों को क्षमा कर देते हैं, तो उसे अपने पाप के लिए किसी और चढ़ावे की आवश्यकता नहीं होती है! ",
"19": "इसलिए, हे मेरे साथी विश्वासियों, क्योंकि यीशु ने जो किया था हम उस पर विश्वास करते हैं कि जब उनका लहू हमारे लिए बहा था, तो हम आत्मविश्वास से परमेश्वर की उपस्थिति में जा सकते हैं जिसका प्रतीक पवित्र-तम्बू का परम पवित्रस्थान था। ",
"20": "उन्होंने एक नया मार्ग बना कर जिसमें हम सदा जीवित रह सकते हैं, हमें परमेश्वर की उपस्थिति में जाने के योग्य बनाया है। यह नया मार्ग यीशु हैं, जो हमारे लिए मर गए। ",
"21": "मसीह एक महान याजक हैं जो हमारे ऊपर जो परमेश्वर के लोग हैं, शासन करते हैं। ",
"22": "इसलिए हमें सच्चे मन से यीशु पर आत्मविश्वास के साथ भरोसा रख कर परमेश्वर के निकट जाना है। यह वही हैं जिन्होंने हमारे हृदय को पाप करने से शुद्ध किया है। ऐसा लगता है जैसे कि वह हमारे हृदय पर अपना लहू छिड़कते हैं, और जैसे उन्होंने हमारे शरीर को शुद्ध पानी में धोया है।\n\\p ",
"23": "हमें दृढ़ होकर बताते रहना चाहिए कि हम क्या विश्वास करते हैं। क्योंकि परमेश्वर विश्वासयोग्यता में उन सब बातों को करते हैं जिन्हें करने की उन्होंने प्रतिज्ञा की है, इसलिए हमें आत्मविश्वास के साथ उनसे इन बातों को करने की आशा करनी चाहिए। ",
"24": "और हम विचार करें कि हम में से हर कोई एक दूसरे को प्रेम करने और अच्छे कार्यों को करने के लिए अच्छे से प्रोत्साहित कैसे कर सकते है। ",
"25": "हम प्रभु की आराधना करने के लिए एकजुट होना न छोड़ें, जैसा कि कुछ लोगों ने किया है, इसकी अपेक्षा हम सब दूसरों को प्रोत्साहित करें। हम ऐसा और भी अधिक करें क्योंकि हम जानते हैं कि प्रभु का लौट आना निकट है।\n\\p ",
"26": "यदि हम मसीह के विषय में सच्चा सन्देश जान चुके हैं, और हम जान बूझ कर पाप करते हैं, तो दूसरा कोई बलिदान नहीं जो हमारी सहायता करेगा। ",
"27": "इसकी अपेक्षा हम डरते हुए आशा करते हैं कि परमेश्वर हमारा न्याय करेंगे, और फिर वह अपने सब शत्रुओं को भयानक आग में दण्ड देंगे।\n\\p ",
"28": "जो लोग मूसा की व्यवस्था को अस्वीकार करते थे, उन्हें निर्दयता से कम से कम दो या तीन की गवाही पर मरना पड़ा। ",
"29": "यह गम्भीर दण्ड था परन्तु मसीह परमेश्वर के पुत्र हैं। यदि कोई उस वाचा को अस्वीकार करता है जिसे उन्होंने बाँधी है और उस लहू को तुच्छ समझता है जिसे उन्होंने बहाया है- यदि वह व्यक्ति उस लहू को अस्वीकार कर देता है, जिसके बदले परमेश्वर ने उसे क्षमा कर दिया है - यदि वह व्यक्ति परमेश्वर के आत्मा को अस्वीकार कर देता है, जिसने उस पर ऐसी दया की थी तो परमेश्वर उसे गम्भीर दण्ड देंगे।\n\\p ",
"30": "क्योंकि हम जानते हैं कि परमेश्वर ने कहा था, “लोगों को दण्ड देने के लिए अधिकार और शक्ति मेरे पास है। मैं उन्हें वही दण्ड दूँगा जिसके वे योग्य हैं।” और मूसा ने लिखा, “प्रभु अपने लोगों का न्याय करेंगे।” ",
"31": "यह एक भयानक बात होगी यदि परमेश्वर जो वास्तव में जीवित हैं, तुमको पकड़े और दण्ड दें।\n\\p ",
"32": "पहले के दिनों को स्मरण रखें जब तुमने पहली बार मसीह के विषय में सच को समझा था। तुमने अनेक कठिनाईयों का सामना किया, और जब तुमको कष्ट उठाना पड़ा, तब भी तुम परमेश्वर पर भरोसा रखते रहे। ",
"33": "कई बार लोगों ने तुम्हारा लोग के सामने अपमान किया; दूसरी बार उन्होंने तुमको पीड़ित किया। ऐसा भी समय था जब तुम अन्य विश्वासियों के साथ उनके क्लेशों में सहभागी हुए। ",
"34": "तुम न केवल उन लोगों के प्रति दयालु हो, जो बन्दीगृह में थे, क्योंकि वे मसीह में विश्वास करने के कारण बन्दीगृह में थे परन्तु तुमने सहर्ष स्वीकार किया जब अविश्वासियों ने तुम्हारी सम्पत्ति को लूटा। तुमने इसे स्वीकार कर लिया क्योंकि तुम भलि-भाँति जानते थे कि तुम्हारे पास स्वर्ग में सदा काल की सम्पत्ति है, वह सम्पत्ति जो उनके द्वारा तुमसे ले ली गई वस्तुओं की तुलना में अधिक उत्तम है!\n\\p ",
"35": "इसलिए जब वे तुमको परेशान करें तो निराश मत होना, क्योंकि यदि तुम परमेश्वर पर भरोसा रखते हो, तो वह तुमको बहुत प्रतिफल देंगे। ",
"36": "तुमको धीरज रख कर उस पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि तुम जो करते हो, वह परमेश्वर की इच्छा से करते हो, वह तुमको वह देंगे जिसकी उन्होंने प्रतिज्ञा की है। ",
"37": "जैसा पवित्रशास्त्र में लिखा है कि परमेश्वर ने मसीह के विषय में कहा: “कुछ ही समय में जिनका मैंने प्रतिज्ञा की थी वह निश्चय ही आ जाएँगे; वह आने में देरी नहीं करेंगे। ",
"38": "परन्तु जो धर्मी हैं, वे मुझ पर भरोसा रखते रहेंगे। यदि वे कायर हैं और मुझमें विश्वास करना छोड़ देते हैं, तो मैं उनसे प्रसन्न नहीं होऊँगा।\n\\p ",
"39": "परन्तु हम वह लोग नहीं हैं, जो कायर हैं और परमेश्वर को हमें नाश करने का अवसर देते हैं। इसकी अपेक्षा हम लोग उन पर भरोसा रखते हैं, कि वह हमें सदा के लिए बचाएँ।",
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