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\v 16 बक पिच्छु चौबिस जनी धर्म-गुरु जो बिनके सिंहासन अग्गु अपन-अपन आसनमे परमेश्‍वरके उपस्थितिमे घुप्टा हुइके अनुहार झुकाए बैठे रहयँ, बे परमेश्‍वरके आराधना करीं, \v 17 बे कहान लागे, सर्वशक्तिमान परमप्रभु परमेश्‍वर हम तुमके धन्यबाद देत हँए, जो हए, और जो रहए, काहेकी तुम महान शक्ति हातमे लएहओ और राज करन शुरु करदय हौ।