thr_rev_text_reg/11/10.txt

1 line
1.1 KiB
Plaintext

\v 10 पृथ्‍वीमे रहनबारे बिनको मृत्युमे आनन्द मनाए हँए और उत्सव मनाय हयँ। बे आपसमे उपहार लेन देन फिर करेहँए। काहेकी बे दुई अगमवक्ता पृथ्‍वीमे रहनबारेनके दुख दै रहएँ। \v 11 पर साढे तीन दिन पिछु परमेश्‍वरसे आओ जीवनको सास बिनके भितर जाबैगो और बे अपन टाँगमे ठाणङ्गे और बिनके देखन बारेनके बहुत डर छाबैगो। \v 12 तब बे स्वर्गसे एक बणो आवाज “यितए उपर आओ।” कहिके बे सुनङ्गे। और बिनके दुश्मन देखतै देखत बे बादर उपर स्वर्गघेन जामङ्गे।