thr_rev_text_reg/07/15.txt

1 line
1.0 KiB
Plaintext

\v 15 जहेमारे, बे परमेश्‍वरको सिंहासनके अग्गु हएँ, और दिनरात बाको मन्दिरमे बाको आराधना करत् हँए। सिंहासनमे बिराजमान होनबारो अपन उपस्थितिमे बिनके शरण देहए। \v 16 बे फिर न भुखाय हयँ और प्यासे न हुइहँए। दिनको राप बिनके उपर न पणेहए, न त कोइ ताप बिनके जलाए हए । \v 17 काहेकि सिंहासनके बीचमे होनबारो थुमा बिनको बाकरेहेरा होबैगो, और बा बिनके जिन्दा पानीको मुहान घेन डुरियाबैगो, और परमेश्‍वर बिनके आँखीसे सब आँसु पछोन देबैगो।”