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\v 9 जे बातनके पिछु मय देखो, हरेक जाति, कुल, आदमी और भाषाके कोइ फिर गिनन नसिकन बारो एक बहुत भारी भिड सेतो कुर्ता पैंधके और अपन अपन हातमे खजुरीक हाँगा लैके सिंहासन अग्गु और थुमाके जौने ठाणे रहयँ। \v 10 और बे बडो सोरसे बुलान डटे रहयँ,: “सिंहासनमे बिराजमान होनबारो हमर परमेश्‍वर और थुमामे मुक्ति हए।”