1 line
1.2 KiB
Plaintext
1 line
1.2 KiB
Plaintext
\v 1 तव पिछु पृथ्बीके चारौ कोनेमे चार जनी स्वर्गदुत ठाणे भए मय देखो जौन पृथ्वीके चारौघेन आँधीके तगडेसे पकडे रहयँ। जहेमारे कि, पृथ्वी, समुन्दर औ कोइ फिर रुखाके विरुद्धमे कोइ फिर आँधी न चलय। \v 2 तव जिन्दा परमेश्वरको मोहर लैके दुसरो स्वर्गदूत अगारसे ऊपर आतय मय देखो, जौन पृथ्वी और समुन्द्रके नोकसान करन अनुमति पाएभए चार स्वर्गदुतसे बडो सोरसे चिल्लएके आइसो कही,, \v 3 हमर परमेश्वरके सेवकनके माथेमे हम मोहर ना लगानतक पृथ्वी समुन्द्र औ रुखनके कोइ खराबी मत करियो।” |