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\v 12 जब थुमा छैटौं मोहर तोडी, तव हुँवा एक बणो हाला चाला गव मय देखो। दिन भाङग्राको कुर्ता जैसो कारो हुइगव, और जोनी पुरा रगत जैसो बनिगओ। \v 13 जैसो अञ्‍जीरको रुखाके आँधी हलातपेति न पके फरा झरे जैसे बादरमे भए तारा पथ्‍वीमे गिरे। \v 14 बादर खालको चिट्ठीको मुठाजैसे बिटके लोप हुइगव, जो बिटाओ गव रहय। हरेक पहाड और टापु बाको ठाउँसे हटके चलेगए।