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\v 8 और स्मुर्नाको मण्डलीके दुतके जा लिख: जो आदि और अन्त्य हए जे वचन बहे के हयँ, जो मरिगव रहए, और जो फिर जिन्दा हुईगव। \v 9 मए तुमर कष्ट और तुमर गरीबी जान्त हौं, पर तुम त धनी हौ। मए बिनसे कहत हौं तुमर निन्दा करनबारे जौन अपनएके यहूदी हौं कहिके दाबी करत हएँ, पर वास्तवमे बे न हयँ। बे त शैतानके सभाघर हएँ। |