\v 14 "जीवनको रुखासे खान और सहेरके फाटकनसे भितर घुसन पाओं करके अपन कुरता धोनबारे धन्यके हँए। " \v 15 कुत्ता, मन्त्रतन्त्र करनबारे, व्यभिचारी, हत्यारे, मुर्तिपुजनबारे और झुट बात मन पणान बारे और प्रेम करन मन परानबारे हरेक बाहिर रयहँए।