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\v 23 बत्तीको उजियारो तोए मे कबहू न चम्काईगो। दुलहा और दुल्हिन को आवाज फिर तोए मे कबहू न सुनेहयँ, काहेकी तिर व्यापारी पृथ्बीके राजकुमार रहएँ, और तिर मन्त्रतन्त्र द्वारा-जाति छने रहयँ। \v 24 बामे अगमवक्ता और सन्तनको रगत और पृथ्बीमे मरे भयनके सबयको रगत मिलो रहए।”