thr_rev_text_reg/18/01.txt

1 line
1.2 KiB
Plaintext

\v 1 तव पिछु बणो अधिकार भव दुसरो एक स्वर्गदुत स्वर्गसे तरे आत मए देखो। बाको शक्तिसे पृथ्बी उजियारो भव। \v 2 बा अइसे करके शक्तिशाली सोर निकारके चिल्लाई: “महानगरी बेबिलोनको पतन भव, जा महानगरी भुतनके ताहीं रहनबारो, हरेक अशुध्द आत्माके ताहीं वासस्थान और हरेक अशुध्द और घृणित चिरईंयाको एक अखणा भई हय। \v 3 काहेकी सबय जाति बाको अनैतिक व्यभिचारको नसा पिए हएँ। पृथ्बीके राजा बाकेसंग व्यभिचार करी हए। पृथ्बीनके व्यापारी बाके बिलासिताको शक्तिको जीवन यापनसे बहुत धनी भए हँए।