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\v 10 और पाँचौ स्वर्गदुत अपनो कटोरा बा पशुके सिंहासनमे अखनाई, और बाको राज्यमे अन्धकार छैगव, बे कष्टमे अपनी अपनी जीब चबाईं। \v 11 बिनकी कष्ट और घा के कारन बे स्वर्गको परमेश्‍वरको नाऊँको निन्दा करीं, और अभौ फिर बे अपन कुकर्म से पश्‍चाताप करन इन्कार करीं।