\v 18 बिनके मुँहुसे निकरो आगी, धुवाँ और गन्धकको जे बिपत्तिद्वारा आदमीको एक-तिहाइ भाग मरे। \v 19 काहेकी बे घोडानको शक्ति बिनके मुहूँ और पुँछमे रहए, काहेकी बिनको पुछ साँप जैसो रहएँ, बिनको मुणसे मारके आदमीनके चोट पुगाइ रहएँ।