thr_rev_text_reg/09/01.txt

1 line
653 B
Plaintext

\v 1 बक पिच्छु पाँचौ स्वर्गदुत अपन तुरही फुँकी, और मए स्वर्गसे पृथ्‍वीमे एक तारा गिरत देखो। बा ताराके अतलकुण्डको चाभी दौगओ। \v 2 बा अटलकुण्ड खोली, और बा कुण्डसे आगीको भठ्ठीसे निकरो धुवाँ जैसो उपर जान डटो रहय। और धुवाँ दिन और वायुमण्डलके अँध्यारो बनाएदई।