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\v 12 और पर्गाममके मण्डलीके दुतके जा लिख: जा वचन दुईधारबारो पैनो तरवार संगमे होनबारो कहत हए, \v 13 मोके पता हए, तुम कहाँ बैठत हौ, हुवाँए जहाँ शैतानको सिंहासन हए। तहूँ फिर तुम मिर नाउँमे स्थिर बैठे हौ।और शैतान बैठन बारो ठाऊँमे मरो भव मिर विश्‍वासयोग्य साँची एन्टिपासको समयमे फिर तुम मिर उपरको अपन विश्‍वासके इन्कार न करे।