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\v 30 नेहत्य मए तुमसे कहत हौं, जबतक जा बात ना होनतक तबतक जा पुस्ता ना बितैगो । \v 31 स्वर्ग और पृथ्वी बीत जयहए पर मिर वचन कबहि ना बितैगो । \v 32 "पर बा दिन और बा समयके बिषयके बारेमे पिता से बाहेक और कोई न जानत हए, न त स्वर्गमे होनबारे स्वर्गदुत न पुत्र।"