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\v 35 तव मन्दिरसे निकरत पेति येशू कहि, “कैसे ख्रीष्ट दाउदको लौंड़ा हए कहिके व्यवस्थाको शास्त्री कहत हएँ ? \v 36 काहेकि दाऊद अपनए पबित्र आत्मासे कहि हए, परमप्रभु मेरो प्रभुसे कही, 'तुम मिर दहिना हात घेन बैठओ, जब तक मए तिर दुश्मनके तिर पाँव तरे न लए हौं।" \v 37 जब दाउद अपनए उनसे 'प्रभु' कहत हए, तव कहाँ से बा उनको लौंड़ा भव ?” और हुवाँ की भारी भीड बाको वचन खुशीसे सुनी।