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\v 32 तव शास्त्री बासे कहिं, “गुरुजी, तुम ठीक कहत हौ, परमेश्‍वर ता एकए हए, बा बाहेक कोई न हय। \v 33 बाके सारे हृदय से, सारे समझ से, सारे शक्ति से प्रेम करनो, और परोसीके अपनाए क ता प्रेम करनो सब होमबलि और बलिदानसे उत्तम हय।" \v 34 बिनके बुध्दिमानीसे जबाफ देत देखि, येशू बिनसे कहि, “तुम परमेश्‍वरको राजसे दूर ना हऔ।” तब बा समयसे लैके बासे प्रश्‍न करनके कोईकी हिम्मत ना भई।