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\v 17 और बा शिक्षा देतय कहि, “का आइसो ना लिखो हए, मिर घर सब जातिनके ताहिं प्रार्थनाको घर कहोजय हए ?” तव तुम त जाके डाकुँको अड्डा बनाए हौ। \v 18 और मुखिया पुजारी और शास्त्री जा सुनके बाके कैसे नाश करएँ कहिके उपाय निकारन लागे । काहेकि बे बासे डरात रहएँ, काहेकि सबय भीड बाके शिक्षामें अचम्मो मानत रहएँ । \v 19 सँझा भव बा सहेर से बाहिर निकरके गव।