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\v 43 तव तुमरमें अईसो ना हुईहए। तव तुमरमे जौन बड़े होन इच्छा करत हए बा उनको सेवक होन पडैगो। \v 44 और तुमरमे जौन पहिलो होन इच्छा करत हए, बा सबको कमैया होन पडैगो। \v 45 काहेकी आदमीको लौंड़ा सेवा पानके ना, पर सेवा करन और बहुतनको छुटकाराको मोलके ताहिं अपन प्राण देनके आव हए। |