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\v 48 चेलनके नैयाँ चलान कर्रो होत रहय, बा देखि, काहेकी आँधी चलत रहय। तीन बजे सुबेरे बा उनके ठीन समुन्द्र में नेगत आओ, और उनसे अग्गु जान लागो रहय। \v 49 बे बाके समुन्द्र उपर नेगत देखके प्रेत हए कहिके, और चिल्लान लागो। \v 50 काहेकि बाके देखके सब डराईगय रहयँ। तव झट बा उनसे कहि, “ढाड्स करओ, मएँ हौं, मत डरओ।”