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\v 10 बा उनसे कहि, “जब कोई घरमे घुसैगे, जबतक बा गाउँसे न निकरैगे तबतक हुवएँ बैठियो। \v 11 अगर कोई ठाउँमें तुमए स्वागत न हुईहय तव और आदमी तुमरो वचन सुनन् ईन्कार करहएँ तव, बा ठाउँसे तुम निकरके उनके बिरुध्दमें गबाहीके ताहिं अपने पाँवको धुधर झराए दिओ।"