thr_mrk_text_reg/04/40.txt

1 line
391 B
Plaintext

\v 40 बा उनसे कहि, “तुम अईसे काहे डरात् हौ ? तुमर बिश्बास न हय ?" \v 41 तव बे बहुत डराई गए और आपसमे कहन लागे, “जा कौन हए ? आँधी और समुन्द्र फिर ईनको हुकुम मानत हएँ।”