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\v 26 बा कहि, “परमेश्‍वरको राज अईसो हए- कोई एक आदमी जमीनमे बीज बोत हय, \v 27 और बा सोए से फिर, जगे से फिर रातदिन बा बीज जमत हय और बढतहय, तव बा कईसे बढत है, बा न जानत हय। \v 28 जमीन अपनए जमात् हय, पहिले पिङ्गा तव बाली, तव बालीमें पुरा दाना लागत हय। \v 29 तव जब अन्न पकत् हए, तव तुरन्तए बा हँसिया लगात हए काहेकी फसलको बेरा आएजात हए।”