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\v 21 बा उनसे कहि, “का कुई दिया पजारके खटीया तरे धरन के ताँहि भीतर लात हएँ? का आरेम धारन ताहिं न ? \v 22 कुई चीज लुकाएके न धर पएहएँ, जौन जानि न जाबए, और कौन चीज है जौन उजियारोमे न लयहयँ। \v 23 अगर कूई आदमीक सुननबारो कान हए, तव बा सुनए।”