\v 16 अइसि करके पत्थर बारे ठाँउमे बोए भए जेहि हएँ, जौन जब वचन सुनत् हएँ, तव खुशीसे तुरन्तै बे ग्रहण करलेत् हयँ। \v 17 तव उनको अपनो जर नलगनके कारन थोरी देर तक बे टिकत् हएँ। तव जब वचन को कारण संकट औ सताबट आत् हए, तओ बे तुरन्त गिर जात् हएँ।