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\v 3 तव बा सुखो हात भव आदमी से कहि, “यिताए आ।" \v 4 बा उनसे कहि, बिश्रामदिनमे अच्छो करन् कि खराबी करन्, ज्यान बचान् कि नाश करन् कउन् ठीक हए?” तओ बे चुप् लागे रहे ।