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\v 32 बहे संझाके दिन डुबनसे पच्छु, आदमी बाके जउणे बेमार और भुत लगेभए जम्मै के लिाआईं। \v 33 पुरो शहरके घरके फाटक में जमा हुइगय रहयँ। \v 34 अनेक किसिमके रोग से दुखीभय बहुत बिमारीन के बा अच्छो करी, और बहुत भुतनके निकारी, पर भुत बाके चिनन् के कारन से बा उनके बोलन नादै।