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\v 13 जे सबय प्रतिज्ञा न पायके फिर बे सबय दुरसे स्वागत करीं, पृथ्वीमे परदेशी और प्रवासी इकल्लो हयँ कहिबात स्वीकार करतय बे विश्‍वासमे मरे। \v 14 काहेकि जौन अइसी बात कहात हयँ बे एक स्देवश ढुणरहे हएँ कहि बात सफा होतहए।