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\v 32 बे अग्गुके दिनके सम्झओ, पर तुम ज्योति पाएके पिछु फिर तुम दुःखको कठिन समयमे कैसे सहेरहौ । \v 33 तुम सबयके अग्गु निन्दित और तमासा बने रहौ और उइसी समस्यामे पणेनके संग तुम सहभागी भए रहौ । \v 34 काहेकि कैदीनके उपर तुम दया दिखाए, अपन सम्पति लुटत् फिर आनन्द संग सहे, जा जानके कि तुमरसंग जद्धा उत्तम और सदा रहनबारो सम्पति हए।