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\v 27 जैसी हरेक आदमीनके एक चोटी मरनो पक्का हए, और बाके पिछु न्याय आत हय। \v 28 उइसीय, ख्रीष्ट फिर बहुत जनीके पाप उठानके सदाके ताहीं एकए चोटी बलि हुइगव। बा पापसंग सामना करन दुसरो चोटी बा न दिखाबैगो, पर मुक्तिके ताहीं धैर्यसंग बाके ताहीं ईन्ताजार करनबारेनके ताहिंहय।