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\v 21 अइसी करके, बा पवित्रस्थान और सेवामे चलन बारे सबय बरतनके उपर उइसी किसिमसे रगत छिर्कीं । \v 22 और व्यवस्था अनुसार रगत हरेक चीजके शुध्द करतहय। रगत न बहाएके पापको क्षमा न होत हय