\v 1 भाईचारा-प्रेम बनो रहाबए । \v 2 अपरिचितनके अथिति-सत्कार करन् मत भुलिओ, काहेकी पता न पाएके कित्तो जनी स्वर्गदुतनके अतिथि सत्कार करि रहँए।