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\v 20 और जा त बिना कसम भव न हए । एकघेन, बे और कसमबिना पुजारी भय रहयँ। \v 21 पर दुसरोघेन, अग्गु पूजारी होनबारे त नेहत्य बिना कसम पूजारीको पद लए रहएँ, पर बा त कसम सहित पूजारी बनोहए, और बाके बारेमे परमेश्‍वर कहिहए, “परमप्रभु कसम खाईहए, और अपन मन बदलि न हय, तुम सबदिनके ताहिं पूजारी हौ।”