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\v 28 \v 29 28 जेत्यार मुसान व्यवस्थान नी माननेवावा दुय या तीन जोणत गवाही पोर बीना दोया कोरला मारणेम आवतलो से , ।
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29 तेत्यार सोचलेवु कि कातरा ओवी बाहरी दण्ड के योग्य ठहराव्यु , जोतरा बोगवानोन पुन्यान पायो मा कुचलायला एने वाचा लुय जिना दोखा यो पोवित्र ठहरावणेमा आवलो ओणो , ओपोवित्र जाणला से , एने अनुग्रह की आत्यान अपमान ओयले से !
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\v 30 \v 31 30 काहाके आमु तिनाहा जाणतला से च्यु कोयलु पोलटु लेनु मारो काम से , मीय बरलु लीही ओवी यो कि पोरबु आपणा माणहोन निवाडु पाडहे ।
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31 जीवता देवोन हातोमा पोडणु खतरनाक वात से !
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\v 32 \v 33 \v 34 32 पुण च्या पेल्ला दिहोहो और कोरनु जिनामा तुमु उजड देखीन दुःखोमा संघर्ष मा स्थिर रोयु !
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33 काय ते या कि तुमु निंदा एने क्लेश सोहन करतु ओवी तमासु बने , ओवी काय यो के तुमु तीनान सहभाग ओया जिंदरी दुर्दशी करने मा आवतलो
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34 काहाके तुमु कैदीने गोत दुःख माथी दुःखी ओया , ओवी आपणी संपती भी खुशी मा दोखु लुटने देहु पर जाणीन के तुमरा हाते एक ओवी भी उत्तम एने हमेशा ठहरने वावी संपती से !
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